लेखनी कहानी -03-Jul-2023# तुम्हें आना ही था (भाग:-4)# कहानीकार प्रतियोगिता के लिए
गतांक से आगे:-
राज अर्ध निद्रित अवस्था में था पर उसे ये महसूस हो रहा था कि कोई लड़की बला की खूबसूरत उसके पास खड़ी होंठों ही होंठों में कुछ बुदबुदा रही है।जब उसने गौर से उसके शब्दों पर कान दिए तो समझ आया कि वह लड़की क्या बोल रही है।
….. पर वह उसे देव कहकर क्यों बुला रही है उसका नाम तो राज है ।राज ने नींद में ही अपने आप को चेताया।
उसने देखा वह बड़े प्यार से उसे निहार रही थी और धीरे-धीरे चलते हुए वह दरवाजे से बाहर चली गई तभी जैसे राज की मूर्छा भंग हुई और वह एक झटके से अपने पलंग से उठ बैठा और कूद मार कर वह दरवाजे की ओर लपका ।रात को तो दरवाजा खुला ही रखा था लेकिन वो लड़की इतनी जल्दी कहां चली गई।राज के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।उसने कमरे से बाहर निकल कर दाये बांये लाबी में देखा पर कहीं कोई नजर नहीं आया। राज अपने ही सिर पर थप्पड़ मार कर हंस दिया
"पगले इतनी हारर स्टोरी मत पढ़ा कर ।रात में भी तुझे वहीं लड़की भूतनी बनी दिख रही है । क्यों एक अच्छी भली लड़की को भूतनी बनाने पर तूला है।"
यह कहकर वह अपने बिस्तर में आकर घुस गया।उसे अपनी थकान उतारना जरूरी था क्योंकि अंकल भूषण प्रसाद ने उससे कहा था कि कल जमीन के दस्तावेज में कुछ फेर बदल हुई है क्योंकि वह अब विदेश से आ गया था तो उसके हस्ताक्षर करवाने थे इसलिए वकील से मिलने भी जाना था और फिर भूषण प्रसाद उसे उस किले के खंडहरों में भी ले जाने वाले थे क्योंकि राज इस बात को सिरे से नकार रहा था कि उसकी तस्वीर उस तहखाने में है ।इस लिए राज इस बात पर ज्यादा गौर ना करके सो गया।
सुबह छह बजे नयना उसे जगाने आई थी ।लाल रंग की ड्रेस ,ऊपर से गीले खुले बाल , होंठों पर चेरी कलर की लिपस्टिक वास्तव में बहुत ही आकर्षक लग रही थी नयना।या यूं कह लो कि आज राज के लिए ही इतना संवरी थी।चाय की ट्रे लेकर और अखबार लेकर वह राज के कमरे में आई।उसने बेडरूम के पर्दे सरका दिये थे ताकि ताजी हवा आ सके कल की बरसात के बाद आज मौसम कुछ खुला हुआ था ।
"राज……उठो ना देखो चाय ठंडी हो रही है मैं किचन में जा रही हूं देखो चाय पी लेना ।"वह बड़े मनुहार से राज को उठा रही थी वह चाहती थी कि राज उठे और उसे एक नजर देखें।वह तब तक वहीं खड़ी रही जब तक राज ने आंखें खोलकर उसे देख नहीं लिया।उसे देखते ही राज बोला,"ओये होये मोटी….ओ तेरी तो सोरी सोरी नयना जी हम ने तो आज ही देखा आप तो वास्तव में बहुत पतली हो गयी है ।आज किस पर बिजली गिराने का इरादा है ।"वह खिलखिलाकर हंस पड़ा।
नयना "धत्" कहकर किचन में चली गई आज उसका सजना संवरना मुकम्मल हो गया था कहते है।दिल जिसके चाहे अगर वो उसकी तारीफ करें तो औरत एक अलग ही खुशी के मुकाम पर पहुंच जाती है।नयना भी कुछ इसी तरह महसूस कर रही थी ।
उधर राज बिस्तर से उठा और फ्रेश होकर चाय के साथ साथ अखबार पढ़ने लगा।सिटी न्यूज़ वाले पेज पर एक लड़की की तस्वीर देखकर वह बुरी तरह से चौंक गया और वह उसे लेकर तुरंत किचन में आया। क्यों कि उसके लापता का विज्ञापन छपा था ।उसने नयना को विज्ञापन दिखाते हुए कहा,"देखो नयना ….एक बार देखो ना अखबार में ।ये उसी लड़की की तस्वीर है जो मुझे कल रास्ते में मिली थी । मुझे क्या पता बेचारी घर से भागी हुई है नहीं तो मैं उसे उसके घर छोड़ आता बेचारे मां बाप कितने परेशान होंगे उसके।"
आज भूषण प्रसाद थोड़ा लेट उठे थे ।शायद रात को किसी चीज पर रिसर्च कर रहे थे।उठते ही नयना को आवाज़ दी ,
"नयना ,बेटा चाय लाना आज तो मुझे उठने में बहुत देर हो गई।राज उठ गया क्या?"
"हां पापा । बाथरूम में गया है तैयार होने आप भी चाय पी कर जल्दी आ जाओ नाश्ता तैयार है।"
वह जल्दी जल्दी चाय अपने पापा को दे आई थी ।आज उसने राज के मनपसंद आलू की सब्जी पूरी बनाई थी ।और उसे मूंगदाल हलवा भी बहुत पसंद था वह भी बनाया था।राज फटाफट तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर आ गया तब तक नाश्ता लग चुका था और भूषण प्रसाद जी भी तब तक तैयार होकर टेबल पर आ चुके थे।
नाश्ता देखकर राज के मुंह में पानी आ गया।वह फटाफट खाने पर टूट पड़ा और जी भरकर आलू पुरी खाई उसके बाद मूंगदाल हलवा खाने लगा तो अपने अंकल से मुखातिब होते हुए बोला,"अंकल ये नयना की बच्ची मेरी खाने की आदतें बिगाड़ रही है ।मुझे इसके हाथ के खाने की आदत लग गई तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी जब ये ससुराल चली जाएंगी तो।"वह खिलखिलाकर हंस पड़ा।
भूषण प्रसाद मन ही मन बुदबुदाए,"ससुराल क्यों जाना सदा के लिए यही रख लेंगे तुम्हारे लिए।"
नयना भी चिढ़ कर बोली,"अच्छा मैं इतनी बुरी लगती हूं जो मुझे घर से निकालना चाहते हो।"
राज ने कान पकड़ कर कहा,"ना बाबा ना मेरी इतनी हिम्मत जो मैं तुम्हें निकालूं आप का जितना जी चाहे रहे नयना जी।" वह जोर से हंसा साथ में भूषण प्रसाद जी भी मुस्कुरा उठे।राज के आने से एक अलग ही रौनक हो जाती थी घर में । दोनों एक दूसरे को चिढ़ाते और मनाते रहते थे वरना राज के विदेश जाने के बाद नयना तो जैसे मुस्कुराना ही भूल गयी थी।
दोनों ने फटाफट नाश्ता खत्म किया और वकील से मिलने के लिए निकल गये। वहां आफिस मे जिन कागजों पर हस्ताक्षर करने थे वो करके दोनों गाड़ी में बैठे और गाड़ी किले के खंडहरों की ओर चल दी । रास्ते में एक सुरंग पड़ती थी जब गाड़ी सुरंग से होकर बाहर निकली तो किले के खंडहर दिखाई देने लगे।
आज भी मौसम सुहावना ही था पहाड़ी इलाका ऊपर से सुहावना मौसम चारों तरफ हरियाली राज तो जैसे दीवाना सा हो गया था इस मौसम का ।वह इन बातों में यह बात अंकल को बताना ही भूल गया कि वो लड़की जो रास्ते में मिली थी वो घर से भागी हुई है।तभी राज का आश्चर्य से बुरा हाल हो गया क्योंकि उसने किले के खंडहरों में कोई दिखा था
कहानी अभी जारी है……….
KALPANA SINHA
12-Aug-2023 07:13 AM
Nice
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Varsha_Upadhyay
09-Jul-2023 11:01 PM
Nice one
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